August 26, 2024


भगवान श्रीकृष्ण का कर्म प्रधान जीवन हमारे लिए आज भी प्रेरणा पुंज : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल : प्रदेश के समस्त नगरीय निकाय में गीता भवन केन्द्र खोले जाएंगे। इन केंद्रों के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान और हमारे ग्रंथोंमहापुरुषों के उपदेश आमजन तक पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इन्दौर स्थित गीता भवन में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मध्यप्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यानमाला में यह घोषणा की। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के अलग-अलग घटनाक्रमों के वृत्तान्त को बड़े ही रोचक तरीके बताया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा प्रदेश सरकार द्वारा इस तरह के व्याख्यान के माध्यम से आमजन तक भगवान श्रीकृष्ण के कर्म प्रधान जीवन की जानकारी पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। श्री विजय दत्त श्रीधर और  श्री प्रभुदयाल मिश्र ने अपने व्याख्यान दिये।

जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावटसांसद श्री शंकर लालवानीमहापौर श्री पुष्यमित्र भार्गवविधायक श्री महेंद्र हार्डियाविधायक श्री गोलू शुक्लाविधायक श्री मधु वर्माश्री गौरव रणदिवेगीता भवन ट्रस्ट इंदौर के अध्यक्ष श्री रामचंद्र एरनट्रस्ट के मंत्री श्री रामविलास राठी सहित गणमान्यजनगीता भवन ट्रस्ट के पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रदेश भर में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें व्याख्यान भी शामिल हैं। प्रदेश सरकार ज्ञान रूपी दीपक को प्रज्ज्वलित करने वाली छोटी सी तिली की भूमिका में कार्य कर रही है। व्याख्यान के माध्यम से हमारे वरिष्ठजन हमारे महापुरुषों के जीवन और उनके किये गए कार्यों को आमजन तक बेहद ही सहज तरीके से पहुंचाने का कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा भगवान श्रीकृष्ण का पूरा जीवन कर्म आधारित रहा है। उन्होंने अलग-अलग लीलाओं के माध्यम से कर्म को प्रधान रखते हुए कर्म को ही धर्म माना। भगवान श्रीकृष्ण ने भगवान बुद्ध और उनके शिष्य के संवाद का भी रोचक तरीके से वृतांत सुनाया। भगवान बुद्ध ने कहा था मृत्यु का कारण जन्म है। पृथ्वी पर जिस भी जीव का जन्म हुआ है उसकी मृत्यु तय है। हम देवताओं की जयंती मनाते है क्योंकि उनके द्वारा मनुष्य जन्म में किये गए कर्म पूजनीय है। देवताओं ने भी मनुष्य योनी को अपनाया। पुण्य के संचय हेतु जन्म आवश्यक है। भगवान ने विभिन्न अवतारों में जन्म लेकर मनुष्य जीवन में सुख और दुख के बीच अपने कर्म को महत्ता दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने माता देवकी और वासुदेवबाबा नंद और माता यशोदा के त्याग का उल्लेख किया। उन्होंने कहा भगवान कृष्ण ने जन्म से लेकर अपने पूरे जीवन में विभिन्न लीलाओं के माध्यम से कर्म और पुरुषार्थ को प्रधान रखा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इन्दौर के गीता भवन ट्रस्ट को हर संभव सहयोग प्रदान करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इंदौर में "हर घर कृष्ण-हर घर यशोदा" की पहल अनूठी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का पूजन कर बांसुरी अर्पित की। कार्यक्रम में ट्रस्ट की ओर से मुख्यमंत्री डॉ. यादव को भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा जी की प्रतिमा भेंट की गई।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव पर श्री विजयदत्त श्रीधर ने "श्रीकृष्ण के भावसौंदर्य और प्रेम का समुच्चय" विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि भारतीय संस्कृति के भगवान श्रीकृष्ण पुरोधा रहे है। उन्होंने श्रीकृष्ण के जीवन के अलग-अलग वृतांत जिसमें कृष्ण-अर्जुन द्रोपदीरुकमणी प्रसंग सुनाते हुए श्रीकृष्ण के जीवन के वृतांत को बड़े ही रोचक तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंने भगवत गीता के श्लोकों और उनके अर्थों को बेहतर सहज तरीके से अपने व्याख्यान के माध्यम से प्रस्तुत किया। श्री श्रीधर ने कहा यह आयोजन सनातन संस्कृति को जाननेसमाज में रचनात्मकता और बेहतर दिशा देने का कार्य करने वाला सिद्ध होगा।

"श्रीकृष्णा समग्रता की प्रतिमूर्ति" विषय पर श्री प्रभु दयाल मिश्र ने श्रीमद् भगवत गीता के 18 हज़ार श्लोकों के अंतिम श्लोक को अपने व्याख्यान में समाहित करते हुए कहा एकाग्र भाव से किया गया कर्म ही सार्थक होता है। कर्म के प्रति नियंत्रण होता है लेकिन फल पर नियंत्रण नहीं होता है। उन्होंने कहा कर्म में आनंद की अनुभूति होना चाहिएक्योंकि कर्म करने की भूमिका में आनंद होता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म को ही धर्म माना। "मैं" तो में के जड़ चेतन में समाहित है, वेद का दर्शन है, इसीलिये कहा जाता है कि ईश्वर में सभी का समावेश है। व्यक्ति को कर्म पर सदैव अडिग रहना चाहिए।


Related Post

Archives

Advertisement











Trending News

Archives