लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ निवासी रिंकू सिंह राही ने लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में 683वां रैंक हासिल किया है। वह दलित है। वर्तमान में हापुड़ में राज्य आईएएस/पीसीएस कोचिंग के प्रभारी दलित रिंकू सिंह के संघर्ष की कहानी प्रेरित करती है।
मायावती के शासनकाल में उन पर माफियाओं ने हमला किया था। उस समय उन्होंने मुजफ्फरनगर में जिला समाज कल्याण अधिकारी रहते हुए वर्ष 2009 में करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया था। हमले में उन्हें सात गोलियां लगी थीं, जिनमें से एक गोली मुंह में लगी। उससे उसका पूरा चेहरा खराब हो गया था। इसके बाद अखिलेश यादव की सरकार में माफियाओं ने अफसरों से मिलीभगत करके उन्हें पागलखाने में भिजवा दिया था।
योगी आदित्यनाथ की सरकार में उन्हें हापुड़ में राज्य कोचिंग सेंटर का प्रभारी बनाया गया है। सिविल सेवा में शामिल होने के उनके जुनून के कारण ही उन्होंने भ्रष्टाचार के आगे घुटने नहीं टेके। उन्होंने जानलेवा हमले के 13 साल बाद सिविल सेवा परीक्षा पास की है।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में पैदा हुए रिंकू सिंह राही के परिवार का भी पूरा समर्थन है। रिंकू के पिता सौदान सिंह राही अलीगढ़ में आटा चक्की चलाते हैं। रिंकू के पीसीएस बनने के बाद भी उनके परिवार की ख्वाहिशें कभी नहीं बढ़ीं। उसका एक भाई और एक बहन है जो पढ़ाई कर रहे हैं। रिंकू की मां किरण राही का कहना है कि अब उनके जीवन का एकमात्र सपना अपने बेटे के सपने को पूरा करना है।
रिंकू का सबसे बड़ा सपना है कि देश में हालात ऐसे हों कि ईमानदार अफसर भी बिना जान गंवाए काम कर सकें। उनका कहना है कि ईमानदारी से काम करना मौजूदा व्यवस्था में सबसे बड़ी चुनौती है। उनकी लड़ाई अब भ्रष्टाचारियों और अपराधियों का मनोबल तोडऩे की है। ईमानदार प्रशासनिक अधिकारी देश की सबसे बड़ी संपत्ति होते हैं। सरकार को उनकी रक्षा करनी चाहिए, लेकिन भ्रष्ट सरकार से इसकी उम्मीद नहीं की जा सकती, अब ईमानदार अधिकारियों की रक्षा के लिए लोगों को जागरूक करना होगा।