रायपुर : जनजातीय समाज और वनों के मध्य गहरा संबंध है
और दोनों एक दूसरे के पूरक के रूप में संरक्षित - संवर्धित हो रहे हैं। प्रकृति की
गोद में ही जनजाति समाज का पीढ़ी दर पीढ़ी विकास हुआ है। यह कार्यशाला आदिवासियों
और वनों के सहअस्तित्व को केंद्र में रखकर उनके उन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय आज नवा रायपुर में आदिवासी समुदायों के लिए वन
आधारित जीविकोपार्जन के अवसर विषय पर नीति आयोग तथा वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग
के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कार्यशाला में
सभी प्रबुद्धजनों, विषय विशेषज्ञों और अधिकारियों का
स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जनजाति समाज को जीविकोपार्जन के समुचित अवसर उपलब्ध
कराने की जिम्मेदारी हम सभी पर है। मुख्यमंत्री श्री
साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 32 प्रतिशत जनजाति समुदाय
निवासरत है और 44 प्रतिशत इलाका वन आच्छादित है।मुख्यमंत्री
श्री साय ने कहा कि पिछले 35 वर्षों से अधिक के सार्वजनिक
जीवन में मैने प्रदेश के जनजाति समुदाय और विशेष पिछड़ी जनजातियों के संघर्ष और
पीड़ा को करीब से देखा है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल
बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों की व्यथा को समझा और एक
आदिवासी बहुल नए राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया। श्री साय ने कहा कि
अटल जी ने आदिवासियों के कल्याण के लिए पृथक मंत्रालय का भी गठन किया और
आदिवासियों के कल्याण के लिए केंद्र सरकार द्वारा भेजी जा रही राशि का सही उपयोग
हो पाया। अटल जी के प्रयासों से ही छत्तीसगढ़ में विकास के नए आयाम स्थापित हुए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रदेश में कोई भी
भूखा न रहे, इस उद्देश्य से पूर्व मुख्यमंत्री
डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश में व्यापक स्तर पर पीडीएस सिस्टम लागू कर लोगो को सस्ते
दर पर अनाज उपलब्ध कराया। उन्होंने समर्थन मूल्य पर वनोपज की खरीदी प्रारंभ की,
जिसने आदिवासियों को आर्थिक रूप से मजबूत करने का काम किया। मुख्यमंत्री
श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लघु वनोपज पर्याप्त मात्रा में है। कुल 67
प्रकार के लघु वनोपजों का संग्रहण, प्रसंस्करण
और विक्रय महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से किया जा रहा है। हमारे
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा वनोपजों से जुड़ी प्रोत्साहक नीतियों का
लाभ उठाकर स्व सहायता समूह की बहनें आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय
समूह के आजीविका और उत्थान के लिए संचालित पीएम-जनमन योजना और धरती आबा जनजातीय
ग्राम उत्कर्ष अभियान के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का विशेष रूप से
धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्रामों को
लाभान्वित किया जा रहा है। इस मौके पर श्री साय ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा जनजाति
समुदायों के उत्थान के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी साझा
की।मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि नीति आयोग और वन विभाग की इस संयुक्त कार्यशाला
से जनजातीय समाज को तकनीक और नवाचार से जोड़ने के साथ ही आर्थिक स्थिति को मजबूत
करने में मदद मिलेगी।
वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि नीति आयोग के सहयोग
से एक प्रासंगिक और महत्वपूर्ण विषय पर आज एकदिवसीय
कार्यशाला आयोजित की गई है। वन मंत्री श्री कश्यप ने
कहा कि जनजातीय समुदाय के लिए संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन अब तेजी से हो रहा
है और वनवासी क्षेत्रों में व्यवस्थाएं अब सुदृढ़ हुई है। उन्होंने पर्यावरण संतुलन
के साथ वन संसाधनों के समुचित उपयोग पर जोर देने और
रोजगार सृजन की बात कही।
कार्यशाला में नीति आयोग के सलाहकार श्री सुरेंद्र
मेहता, प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा और वन बल प्रमुख श्री व्ही
श्रीनिवास राव ने अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर एपीसीसीएफ श्रीमती शालिनी रैना,
नीति आयोग के निदेशक श्री अमित वर्मा, वन
विभाग के वरिष्ठ अधिकारी गण और झारखंड, मध्यप्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक सहित अन्य राज्यों से आए प्रबुद्धजन,
विषय विशेषज्ञ और अधिकारी मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने वनोपज
आधारित स्टालों का किया अवलोकन
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने अरण्य भवन परिसर
में वन उत्पादों पर आधारित स्टालों का भी अवलोकन किया। लीफ प्लेट टेक्नोलॉजी, हैदराबाद की टीम ने मुख्यमंत्री श्री साय को लीफ से तैयार डिनर सेट भेंट
किया। इस दौरान भोपालपट्टनम, बीजापुर जिले से आये श्री बी. आर.
राव ने मुख्यमंत्री श्री साय को बताया कि वे पिछले 35
वर्षों से वनौषधीय पौधों के बीजों का संरक्षण कर रहे हैं। वे अपने 'गमलों से जंगल की ओर' अभियान के तहत निःशुल्क बीजों
का वितरण भी करते आ रहे हैं। मुख्यमंत्री ने श्री राव के कार्यों की सराहना करते
हुए उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएँ दी। बलौदाबाजार जिले के अमरवा बांस प्रसंस्करण
केन्द्र के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को बांस शिल्प से बना गुलदस्ता भेंट करते हुए
केन्द्र में संचालित गतिविधियों की जानकारी दी। श्री साय ने लाख उत्पादक किसान
समिति कांकेर, छत्तीसगढ़ हर्बल और जशप्योर एफपीसी जशपुर के
स्टालों का अवलोकन कर समूह के सदस्यों के साथ चर्चा की।