December 11, 2022


मैंने केवल आदिवासी आरक्षण बढ़ाने के लिए सत्र बुलाने को कहा था, उन्होंने सबका बढ़ा दिया : राज्यपाल अनुसूईया उइके

रायपुर| राज्यपाल अनुसूईया उइके अन्य पिछड़ा वर्ग-ओबीसी वर्ग को दिये गये 27% आरक्षण की वजह से आरक्षण विधेयकों पर हस्ताक्षर करने से हिचक रही हैं। राज्यपाल ने शनिवार को मीडिया से बातचीत में कहा, मैंने केवल आदिवासी वर्ग का आरक्षण बढ़ाने के लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाने का सुझाव दिया था। उन्होंने सबका बढ़ा दिया। अब जब कोर्ट ने 58% आरक्षण को अवैधानिक कह दिया है तो 76% आरक्षण का बचाव कैसे करेगी सरकार। धमतरी पहुंची राज्यपाल अनुसूईया उइके ने रेस्ट हाउस में मीडिया से बात की। आरक्षण विधेयक को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, हाईकोर्ट ने 2012 के विधेयक में 58% आरक्षण के प्रावधान को अवैधानिक कर दिया था। इससे प्रदेश में असंतोष का वातावरण था। आदिवासियों का आरक्षण 32% से घटकर 20% पर आ गया। सर्व आदिवासी समाज ने पूरे प्रदेश में जन आंदोलन शुरू कर दिया। सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों ने आवेदन दिया। तब मैंने सीएम साहब को एक पत्र लिखा था। मैं व्यक्तिगत तौर पर भी जानकारी ले रही थी। मैंने केवल जनजातीय समाज के लिए ही सत्र बुलाने की मांग की थी। मैंने सुझाव के तौर पर कहा था कि अध्यादेश लाना हो तो अध्यादेश लाइए, विशेष सत्र बुलाना हो तो वह बुलाइए। अब इस विधेयक में ओबीसी समाज का 27%, अन्य समाज का 4% और एससी समाज का 1% बढ़ा दिया गया। अब मेरे सामने सवाल यह आ गया कि जब कोर्ट 58% को अवैधानिक घोषित करता है तो यह बढ़कर 76% हो गया। राज्यपाल ने कहा, केवल आदिवासी का आरक्षण बढ़ा होता तो मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। अब मुझे यह देखना है कि यह क्वांटिफायबल डाटा कैसा है। दूसरे वर्गों का आरक्षण कैसे तय हुआ है। रोस्टर की तैयारी क्या है। एससी, एसटी, ओबीसी और जनरल वर्ग के संगठनों ने मुझे आवेदन देकर विधेयक की जांच करने को कहा है। उन आवेदनाें का भी मैं परीक्षण कर रही हूं। एकदम से बिना सोचे-समझे हस्ताक्षर करना ठीक नहीं होगा। राज्यपाल ने बताया, विशेष सत्र तक उनकी चिंता केवल 2018 के अधिनियम में दिए गए 58% आरक्षण को बचाने की थी। उन्होंने कहा, अगर 58% वाले को ही बचा लेते तो समाधान हो जाता। अब सरकार ने और शामिल कर लिया तो वह आधार तो मुझे जानना है ना। 58% वाली स्थिति रहती ताे मुझे कोई दिक्कत नहीं होती। अगर मुझे लगता है कि इस मामले में सरकार के पास सही डाटा है। उसकी तैयारी पूरी है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। अभी तो जनरल वालों ने भी मुझे आवेदन दिया है कि इसपर हस्ताक्षर नहीं करना। इसमें हमारे 10% को 4% कर दिया गया है। राज्यपाल ने कहा, यह मामला पक्का कोर्ट में जाएगा। इसलिए सरकार की क्या तैयारी होनी चाहिए। हाईकोर्ट ने पहले ही कहा था, कि आपने किस आधार पर 2012 में आरक्षण बढ़ाया था। किस वजह से एससी का आरक्षण कम किया, एसटी का बढ़ाया। ओबीसी का बढ़ाया। पदों पर इन वर्गों की क्या स्थिति है। इन सब पहलुओं और हाईकोर्ट के जजमेंट को ध्यान में रखकर सरकार से इन सारी चीजों की जानकारी इकट्‌ठा की जा रही है। मेरा प्रश्न यह है कि जब 58% आरक्षण को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक बता दिया तो 76% के लिए क्या कर सकती है सरकार। मैं तकनीकी तौर पर पूरी तरह समझ लूं कि सरकार की क्या तैयारी है। आज मैं साइन कर दूं, कल को कोई कोर्ट चला गया तो।


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