कवर्धा : (कबीरधाम) जिले के लोहार डीह ग्राम मे घटी कचरु साहू की मौत के बाद आक्रोशित
ग्रामजनो द्वारा रघुनाथ साहू नामक व्यक्ती के घर के साथ उसे जिंदा आग के हवाले कर
उसके परिजनो की हत्त्या का प्रयास करने की घटना की मैं घोर निंदा करता हूं। मैं
अवाक हूं ,हतप्रभ हूं साथ ही असमंजस भी,मुझे समझ में नहीं आ
रहा है की किसी प्रकार के फालतू विवादों से दूर दूर व शांत प्रविर्ति के साथ
छत्तीसगढ़िया साहू समाज के लोग अचानक कैसे इतने हिंसात्मक हो गए ।जबकि
छत्तीसगढ़िया आदमी सीधे सरल निष्पाप निष्कलंक निश्चल व्यक्तित्व के रूप में पूरे
देश में छत्तीसगढ़ियाओं की अपनी अलग पहचान है । चाहे वो कोई समाज़ का हो, आखिरकार देखते ही देखते ये कैसे और किसके
उकसाने पर लोहार डी ह जैसे शांतिप्रिय ग्राम में यह भयानक घटना घट गई। खैर घटना या
दुर्घटना का समय कोई पूर्व निर्धारित नहीं होता अचानक कब क्या हो जाए? कोई नहीं जानता । मृतक कचरु साहू की मृत्यु पड़ोसी राज्य से लगे मध्य
प्रदेश क्षेत्र में हुई थी ।वह भी व्यक्ति लोहार डीह का निवासी था हम उनके परिवार
के प्रति भी संवेदना प्रकट करते है। लेकिन उसकी मौत के पश्चात किस ने कौन सी ठोस
वजह को लेकर ग्राम के ही एक अन्य व्यक्ति रघुनाथ साहू जिसे कचरु का राजनैतिक
प्रतिद्वंधि बताया जाता हैं। उसपर कचरु की हत्त्या करवाने का इलज़ाम लगा कर उसे व
उसके घर को आग के हवाले कर रघुनाथ को जिंदा जला दिया और उसके पूरे परिवार की हत्या
करने की कोशिश की गई।
बताया जाता है कि मृतक रघुनाथ साहू गुस्सैल प्रवीरति होने के साथ गाव मे
दबंगई दिखाया करता था।मृतक कचरु से उसकी नही बनती थी,गाव में
औरों से भी मतभेद था,लेकिन यह मतभेद शैन् _शैन् मनभेद मे बदल गया और ये नृशंस कांड घटित हो गया। कहानी यहाँ से शुरू
होता है जब कचरु साहू की मौत हुई तो कहा जाता है कि,कचरु को
रघुनाथ साहू ने मरवाया जबकि किसी के पास इस बात का तथ्यात्मक सबूत नही था सिर्फ
संदेह था।क्योकि पहले भी किसी बात को लेकर कचरु और रघुनाथ के बीच मे कहासुनी हुई
थी।रघुनाथ ने आदतन गुस्से में आकर रघुनाथ ने कचरु को जान से मारने की धमकी दी थी।
इसबात के संदेह पर भोले भाले ग्राम वासियों को किसी अवांछनीय तत्वव
ने भड़का कर आग में घी डालने का काम किया।जिसके फल स्वरुप पूरा गांव हिंसा पर उतर
आया और यह दुर्भाग्य पूर्ण घटना घटित हो गई।
अब सामने
आता है पुलिस की भूमिका, सत्ताधारी नेतागण व विपक्ष की भूमिका अदा कर रहे नेताओं का राजनैतिक
अदाकारी तो हम पहले पुलिस की भूमिका पर आते हैं।
इस
लोमहर्षक घटना की सूचना स्थानीय रेंगाखार पुलिस थाना को जब मिलती है। तो रेंगाखर
पुलिस थाना के प्रभारी अपने आलाधिकारियों को इस घटना की सूचना देते हैं ।साथ ही इस
घटना की सूचना जिले के एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव को मिलती है।डा अभिषेक पल्लव अपने
दल बल के साथ गांव में जा धमकते हैं ,साथ ही फायर ब्रिगेड को भी आगजनी की सूचना दी जाती है ।और
फायर ब्रिगेड वाले रघुनाथ के घर में लगी आग को बुझाने में जुट जाते हैं। इस
दरमियान पुलिस को रघुनाथ साहू के घर में रघुनाथ साहू की अधजली लाश मिलती है ,पुलिस को देख कर ग्रामवासी पुलिस को घटना की जानकारी की वास्तविकता से
अवगत कराने की कोशिश करते हैं ।लेकिन फिर क्या पुलिस आक्रोश
में आकर किसी की सुनने व घटना को समझने की ज़हमत नही उठाई शायद पुलिस यह मानसिकता
बना कर आई थी की इस गाव को वीरान करके ही छोड़ेगी। पुलिस जिसे देख रही थी उसे
पीट रही थी ।पुलिस की इन हरकतो को देखकर ग्रामवासी भी उग्र हो उठे,
और ग्रामीणों और पुलिस के बीच टकराव हो गई। जिसमें तथा कथित रूप से
एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव व उनके दल को भी पथराव का शिकार होना पड़ा।उसके बाद
पुलिस अपनी औकात में आ जाती है और घर में घुस घुस कर बच्चे, बूढ़े ,महिला,जवान
सभी को घर के भीतर से खीचकर बाहर निकाल निकाल कर बेदमपिटाई करते हुए
लगभग 160_ 70 लोगों को जिसमे
युवा,महिला,बुढी,बुढा,
विधार्थी,सभी ग्रामवासीयों को अलग-अलग समय में
मारते पीटते हुए थाने ले जाकर आगजनी, बलवा, सरकारी कार्य में बाधा, हत्त्या व हत्त्या के प्रयास
सहित ना जाने फालतू मामलों मे फँसा कर जेल भेज देती है।
अब कहानी यहां से शुरू होती है जिस
दौरान पुलिस ग्राम वासियों को पीट-पीट कर थाने में ले जाकर गिरफ्तार कर रही थी,
इस दौरान ग्राम के ही एक 27 वर्षीय युवक
प्रशांत साहू को भी गिरफ्तार किया गया ।और पूछताछ के दौरान डॉक्टर अभिषेक पल्लव व
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वैभव कुमार ने इस युवक को इतनी
यातना दिया कि उसकी मौत हो गई ।मौत के बाद पुलिस ने
अपने दुष्कृत को छुपाने के लिए युवक की मौत को मिर्गी से आना मौत बताया ।वही
पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की भूमिका के पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है उन्होंने
इसे स्वाभाविक मौत बता दिया। पोस्टमार्टम किए जाने के पश्चात जब प्रशांत मृत
शरीर को अंतिम संस्कार के लिएको घर लाया गया तो देखा गया तो उसके
पूरे शरीर में मार के निशान से बने काले काले धब्बे थे जिस्म के कई हिस्सों से खाल
उतर गई थी।अंतिम यात्रा में शामिल हुए लोगों द्वारा वीडियोग्राफी कर सोशल मीडिया
में डालने के बाद फिर सियासी हलचल मच गई। प्रशांत की मौत पर राजनीति शुरू हो गई
कांग्रेस के नेताओं ने कभी लोहारडीह गाव का दर्शन नहीं किए थे वहां जाकर अपनी
सियासी के गर्म तवे पर राजनीतिक रोटी सेकने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी ।वे गृह
मंत्री के इस्तीफे की मांग भी करने लगे। मौके की नजाकत और हालात को समझते हुए
प्रदेश के गृह मंत्री विजय शर्मा ने एडिशनल एस पी को निलंबित कर दिया, बात बिगड़ती देख मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने जिले के कलेक्टर व एस पी
डा अभिषेक पल्लव को हटा दिया।मृतक प्रशांत साहू के परिवार वालों को तात्कालिक
सहायता के रूप में 10 लाख रुपए देने की बात कही।
सवाल यह
उठता है कि इस लोहार डीह कांड में मृतक प्रशांत की मां व प्रशांत का छोटा भाई को आरोपी बनाकर
जेल भेज दिया है तो 10लाख की राशि किसको दिया जाएगा?
जबकि प्रशांत की पत्नी का निधन हो चुका है और एक उसका छोटा पुत्र है
उसकी देख रेख करने की जिम्मेदारी किसकी होगी?
इस गंभीर
मामले को लेकर प्रदेश के साहू समाज ने महामहिम राज्यपाल महोदय को पत्र प्रेषित कर
मांग पत्र रखा है जिसमें भिन्न-भिन्न मुद्दों के तहत मांग रखी गई
है।
अब सवाल
यह उठता है कि जिले के एसपी डॉक्टर अभिषेक पल्लव वी निलंबित अतिरिक्त पुलिस
अधीक्षक वैभव कुमार तथा रेंगाखर पुलिस थाने के कर्मचारी जिसमें जिम्मेदार लोग थे
उन्हें बर्खास्त कर उनके विरुद्ध हत्या की साजिश रचने व हत्या करने के का उपयोग
लगाया जाएगा? जांच के नाम पर तारीख पर तारीख तारीख पर तारीख तारीख पर तारीख ....कागज पर
कागज कागज पर कागज कागज पर कागज.....और टेबल दर टेबल टेबल दर टेबल टेबल दर टेबल
कागज नाचती रहेगी ? कानून की किताबें दहाड़े मार मार कर
रोएगी? और न्याय अपना मातम खुद मनाएगा? क्या अदालत के फैसले लाल फीता के जंजीरो मे कैद होकर सिसकते हुए सिर्फ यही
कहेगा मैं विवश हूं.....मैं विवश हूं....मैं विवश हूं?