बिलासपुर। छत्तीसगढ़
हाईकोर्ट ने डीएलएड डिग्रीधारियों के द्वारा नियुक्ति नहीं मिलने पर लगाई गई
हाईकोर्ट में अवमानना याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान बीएड अभ्यर्थियों को बड़ी राहत
दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि, शिक्षकों के प्रति सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए शक्तियों का प्रयोग
करते हुए बीएड अभ्यर्थियों की सेवा सुरक्षित रखने की दिशा में पहल करे और डीएलएड
अभ्यार्थियों को भी नियुक्ति प्रदान करने का रास्ता निकाले।
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने प्राथमिक विद्यालय के
पदों हेतु डीएलएड अभ्यर्थियों को योग्य माना है। पहली से पांचवी कक्षा के लिए
सहायक शिक्षक के पदों पर 2900 बीएड डिग्री
धारियों की नियुक्ति की गई थी। पहले हाईकोर्ट उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सहायक
शिक्षक के पद पर बीएड डिग्रीधारियों की नियुक्ति को अवैधानिक बताते हुए भर्ती
निरस्त करने का आदेश जारी किया है। कोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक राज्य सरकार ने
इस संबंध में कोई दिशा- निर्देश जारी नहीं किया है।
डीएलएड अभ्यर्थियों ने लगाई
अवमानना याचिका
दूसरी तरफ नियुक्ति पाने के लिए डीएलएड अभ्यर्थियों
के द्वारा लगातार न्याय यात्रा निकाली गई। राजधानी में धरना प्रदर्शन किया गया।
इसके बाद हाईकोर्ट में अवमानना याचिका लगाई गई है। जिसकी सुनवाई जस्टिस एनके व्यास
की सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई में बताया गया कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में
बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों को प्राइमरी स्कूल पढ़ाने के लिए पात्र नहीं माना है और
अदालत ने आदेश जारी किया है कि उनकी नियुक्ति निरस्त कर उनकी जगह डीएलएड
अभ्यर्थियों को नियुक्ति दिया जाए। लेकिन इसके बाद भी कोर्ट के आदेश का पालन नहीं
किया जा रहा है जो अदालत की अवमानना है।
सिंगल बेंच ने समायोजित करने के
दिए निर्देश
सुनवाई के दौरान जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच ने
कहा कि, किसी की नौकरी छीनने से समस्या का
समाधान नहीं निकलेगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को बीएड डिग्री धारियों को सहायक
शिक्षक के बजाय मिडिल स्कूल में पढ़ाने हेतु शिक्षक ( वर्ग–2) के पदों पर समायोजित करने का विचार करने के निर्देश देते हुए कहा कि,
वे भी चयनित हैं और मिडिल स्कूल में अध्यापन कार्य की योग्यता रखते
हैं। साथ ही इन्हें एक वर्ष का शिक्षण का अनुभव भी प्राप्त हो चुका है।
सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाए :
कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्री धारी
को प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाने के लिए योग्य नहीं माना है पर ये माध्यमिक स्कूल
में पढ़ाने के लिए योग्य है। इसलिए 2900 शिक्षकों के
प्रति सरकार अपनी जिम्मेदारियां निभाते हुए अपनी शक्तियों का प्रयोग कर इनकी भी
सेवा सुरक्षित रखने की दिशा में पहल करें और डीएलएड अभ्यार्थियों को भी नियुक्ति
प्रदान करें। इस मामले में अगली सुनवाई अब 28 नवंबर को होगी।