विलुप्त हो रहे छत्तीसगढ़ के खेलों को मान्यता देने की मांग रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र का आज तीसरे दिन विधानसभा में खेलो इंडिया और छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के आयोजन का मुद्दा गूंजा। सदस्यों ने खेल मंत्री से सवाल किया कि आखिर टीम का सलेक्शन कैसे हुआ? ओलम्पिक में जो भी जो खेल खिलाए गए थे, उन खेलों को क्या छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ ने मान्यता दी थी? इस पर खेल मंत्री ने इसका जवाब भी दिया। लेकिन उनके इस जवाब को विपक्ष ने विरोधाभाषी बताया। विधानसभा में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने खेलो इंडिया और छत्तीसगढ़िया ओलंपिक को लेकर सवाल किया। इस पर खेल एवं युवा कल्याण मंत्री उमेश कुमार पटेल ने जवाब देते हुए बताया कि पहले पंचायत, फिर ब्लॉक और ज़ोन और इसके बाद राज्य स्तर पर इन खेलों का आयोजन किया गया था। इस छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में करीब 26 लाख 4 हज़ार से ज्यादा खिलाड़ियों ने भाग लिया था। इसके बाद अजय चंद्राकर ने सवाल किया कि छत्तीसगढ़ के खेलों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने के लिए क्या कोशिश की जा रही हैं ? क्या इन खेलों के खिलाड़ियों को नौकरी मिल पाएगी? इस सवाल को लेकर उमेश पटेल ने जवाब देते हुए कहा कि ओलंपिक संघ छत्तीसगढ़ खेलों को संबद्धता दे सकती है, मगर मान्यता नहीं दे सकती। मैंने विलुप्त हो रहे छत्तीसगढ़ के खेलों को मान्यता देकर संरक्षण प्रदान करने की मांग की है। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बीच में टोका तो इसपर विपक्ष भड़क गया। अजय चंद्राकर ने कहा कि प्रश्नकाल में भी ऐसी स्थिति बनेगी कि प्रश्न ही ना पूछने दिया जाए? ऐसे में सदन कैसे चलेगा। सत्तापक्ष ही सवाल पूछ ले। इसके बाद चंद्राकर ने सत्तापक्ष से सवाल किया कि हम सुर या पिट्ठूल खेलते हैं तो इसकी टीम का सलेक्शन कैसे हुआ? क्या इसे ओलंपिक संघ से मान्यता दी गई है? इस सवाल का जवाब देते हुए खेल मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ इ लोगों ने काफी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। जितने गेम्स हमने शामिल किए थे, उन्हें हमने सबसे पहले पंचायत स्तर पर लोगों से खिलवाया। कबड्डी, खो-खो और फुगड़ी को ओलंपिक संघ से मान्यता मिली है।