रायपुर| भाजपा ने पिछले एक महीने में प्रदेश संगठन में कई बदलाव किया है, प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष के बाद पार्टी ने प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी को भी हटा दिया। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले पर बड़ा बयान दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा, पुरंदेश्वरी ने यह सच स्वीकार कर लिया था कि, छत्तीसगढ़ में भाजपा के सामने मुख्यमंत्री का पिछड़े वर्ग का होना और किसान होना सबसे बड़ी चुनौती है। इस 'गलती' की वजह से उनको हटाया गया है। रायपुर पुलिस लाइन हेलीपैड पर प्रेस से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, 'सवाल इस बात का भी है कि डी. पुरंदेश्वरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ बैठक में शामिल थीं और उन्हें हटा दिया। उनका दोष केवल इतना था कि उन्होंने स्वीकार कर लिया था कि मुख्यमंत्री का पिछड़े वर्ग का होना और किसान होना ही सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने सच को स्वीकार कर लिया तो उनको पद से हटा दिया गया।' भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव डी. पुरंदेश्वरी को दो साल पहले प्रदेश प्रभारी बनाया गया था। 9 सितम्बर को उनको हटाकर राजस्थान के ओम माथुर को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई। जिस समय जिम्मेदारियों को बदलने का आदेश जारी हुआ, पुरंदेश्वरी रायपुर में भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में शामिल थीं। इसकी अध्यक्षता खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा कर रहे थे। डी. पुरंदेश्वरी पूरे समय अपने आक्रामक तेवर और विवादित बयानों के लिए सूर्खियों में रहीं थीं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डी. पुरंदेश्वरी के जिस बयान का हवाला दिया। वह भाजपा के कई नेता समय-समय पर बोल चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश ने भी पिछले साल मोर्चा-प्रकोष्ठों के प्रभारियों और अध्यक्षों के साथ बैठक में यह बात कही थी। उन्होंने कहा था, हमारे लिए आज सबसे बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का किसान होना है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हमें किसानों के मुद्दे को अधिक आक्रामक ढंग से उठाना होगा। भाजपा नेतृत्व ने 9 अगस्त को प्रदेश अध्यक्ष को बदलने का आदेश जारी किया। विष्णुदेव साय की जगह अरुण साव को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इसके बाद 17 अगस्त को नेता प्रतिपक्ष को भी बदल दिया गया। यहां धरमलाल कौशिक की जगह नारायण चंदेल को जिम्मेदारी मिली। इसके ठीक एक महीने बाद प्रदेश प्रभारी को बदल दिया गया। दो दिन बाद प्रदेश कार्यकारिणी और मोर्चा-संगठनों के अध्यक्ष भी बदल दिए गए। बताया जा रहा है, भाजपा के निशाने पर 2023 का विधानसभा चुनाव है। ऐसे में वह बेहतर टीम की तलाश में है।