रायपुर। बजट आवंटन और उसके उपयोग को लेकर भारतीय जनता पार्टी के तथ्यहीन आरोप पर छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भूपेश सरकार का बजट जनसरोकार से प्रेरित होता है। रमन सरकार का फोकस केवल कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार में होता था। 15 साल सत्ता में रहने के दौरान भाजपा नेताओं को ना जनता से किये गये वायदे याद रहे और ना ही संकल्प पत्र। चुनावी साल को छोड़कर ना किसानों को बोनस दिया, ना युवाओं को रोजगार। 10 लीटर दूध देने वाली जर्सी गाय देने, प्रत्येक आदिवासी परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वायदा कभी बजट के दौरान रमन सिंह को याद नही आया। मोदी जी की तरह रमन सिंह की सरकार में रहते, अपनी छवि चमकाने विज्ञापन में सैकड़ों करोड़ हर साल फूंका करते थे। रमन सरकार ने केवल 2018 में 450 करोड़ विज्ञापन में फूंके जिसमें 190 करोड़ 60 लाख़ भुगतान किए बिना ही चले गए यह राशि भी भूपेश सरकार भुगतान कर रही है। जो छत्तीसगढ़ में 15 साल के कुशासन में रमनराज में हुआ वही केंद्र में मोदी सरकार कर रही है। एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ में चालू वित्त वर्ष में राजस्व आधिक्य का बजट है वही केंद्र की मोदी सरकार की बात करें तो बजट में कुल प्राप्तिओं का 35 प्रतिशत कर्ज के द्वारा आना बताया गया है। राजकोषीय घाटा लगातार बढ़ रहा है, अर्थव्यवस्था उल्टे पांव भाग रही है, विदेशी मुद्रा भंडार कम हो रहे हैं, एनपीए बढ़ रहे हैं, मोदी सरकार के संरक्षण में बैंक फ्रॉड की घटनाएं बढ़ रही है। देश के संसाधन, सार्वजनिक उपक्रम और देश की संपत्तियां चंद पूंजीपति मित्रों को औने पौने दाम पर बेच रही है। देश पर कर्ज का भार विगत 8 वर्षों में 3 गुना बढ़ गया है, महंगाई और बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से शिखर पर है। दरअसल केंद्र की उपेक्षा और भेदभाव के बावजूद छत्तीसगढ़ में सुशासन और आमजनता की समृद्धि को छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता पचा नहीं पा रहे हैं और अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि भूपेश सरकार के वित्तीय अनुशासन और कुशल प्रबंधन का ही परिणाम है कि चालू वित्त वर्ष में 701 करोड़ का राजस्व आधिक्य का बजट प्रस्तुत किया गया था जो अनुपूरक बजट के बाद राजस्व आधिक्य बढ़कर 800 करोड़ से ऊपर हो गया है। सभी के साथ न्याय और आम जनता की समृद्धि ही भूपेश बघेल सरकार की पहली प्राथमिकता है। 15 साल के रमन सरकार के दौरान खेल एवम युवा कल्याण, महिला और बाल विकास, अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण जैसे महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी मद के बजट आवंटन की राशि का 70 प्रतिशत तक खर्च ही नहीं किया जाता था। क्योंकि रमन सरकार के फोकस में भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी हुआ करती थी। 14000 करोड रुपए नई राजधानी में बिना बसाहट के फूंके गए, अनुपयोगी स्काईवॉक, घटिया मोबाइल और गुणवत्ताहीन एक्सप्रेसवे, जो उद्घाटन से पहले ही जर्जर हो गया था, जिसे तोड़ कर पुनः बनाना पड़ा, ऐसी योजनाएं रमन सरकार के फोकस में हुआ करती थी। रमन सरकार के आखरी वर्ष 2017-18 के दौरान किए गए खर्च के संदर्भ में सीएजी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कमजोर वित्तीय प्रबंधन और रमन सरकार की लापरवाही के कारण बजट का 20 प्रतिशत धनराशि खर्च ही नहीं किए गए। सीएजी की रिपोर्ट में रमन सिंह के वित्तीय अपराध में संलिप्त होने के संबंध में गंभीर सवाल खड़े किए। कृषि जीवन ज्योति योजना में भी चुनावी वर्ष 2017-18 में 225 करोड़ का आर्थिक नुकसान छत्तीसगढ़ को जानबूझकर पहुंचाया गया।