शिक्षामंत्री केदार कश्यप ने किया ओपन एजुकेशनल रिसोर्स सेंटर लांच
रायपुर। राज्य के बच्चे ऑनलाइन डिजिटल पाठ पढ़ेंगे, स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप ने डिजिटल पाठ्यक्रम के लिए ओपन एजुकेशनल रिसोर्स सेंटर को लांच किया| राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) की पहल पर पहली बार ओपन एजुकेशनल रिसोर्स नेशनल स्तर के प्लेटफार्म पर मिलेगा। शनिवार को शिक्षामंत्री केदार कश्यप ने इसे बच्चे और शिक्षकों के हवाले किया। नेशनल लेवल के एनआइओइआर यानी नेशनल रिप्रोजेटरी ओपन एजुकेशनल रिसोर्स के प्लेटफार्म पर शिक्षक व बच्चों को डिजिटल पाठ्य सामाग्री मिलेगी। राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न भाषाओं की पठन-पाठन सामग्री को हिन्दी में परिवर्तित करके अपलोड किया जा रहा है।
मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि हिन्दी भाषी क्षेत्र जैसे मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड आदि राज्यों के विद्यार्थी व शिक्षक इस रिसोर्स का लाभ उठा सकेंगे। इस कार्य में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई और होमी भाभा विज्ञान केंद्र मुंबई सहयोग लिया जा रहा है। इस डिजिटल पाठ्यक्रम के लिए काम करने वाले 20 शिक्षकों को पेन ड्राइव देकर सम्मानित किया गया। वर्तमान में यह प्लेटफार्म इंटरनेट के माध्यम से उपलब्ध है, लेकिन बहुत जल्द ही इसे एजुसेट से जोड़कर बिना इंटरनेट के ही उपलब्ध करा दिया जाएगा। जिन स्थानों पर एजुसेट और इंटरनेट की सुविधा नहीं है वहां ऑफलाइन डिजिटल पाठ्य सामग्री भेजी जाएगी।
धमतरी में हो चुका है प्रयोग :- एससीईआरटी के संचालक सुधीर कुमार अग्रवाल ने बताया की टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई के सहयोग से इस योजना के तहत धमतरी जिले में 30 विद्यालयों में कक्षा 9वीं के विद्यार्थियों को विज्ञान, गणित और अंग्रेजी विषय के पाठों को कम्प्यूटर के जरिये पढ़ाया जा रहा है। केदार कश्यप ने कहा कि डिजिटल युग में लगातार स्कूल शिक्षा में प्रगति हो रही है. उन्होंने कहा कि इंटरनेट का सदुपयोग किस तरह से किया जाए इस पर चिंतन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए बेहतर तरीके से खाका तैयार करके काम किया जाए . बच्चा सिर्फ विजुअल से समझे और शिक्षक भी उसकी मदद करें|
जर्मनी और जापान में पूरी तरह से नहीं हो रहा प्रयोग वहां भी शिक्षक में इस्तेमाल :- केदार कश्यप ने कहा कि डिजिटल क्रांति से यदि सुकमा दंतेवाड़ा का बच्चा अच्छा कर रहे हैं तो यह हमारे लिए अच्छी बात होगी. कुछ जिले पहले बेहतर थे जो पीछे हो रहे हैं. उन पर चिंता करनी चाहिए,ग्रामीण क्षेत्र में टैलेंट है और मैदानी क्षेत्रों में भी टैलेंट है लेकिन उनको सही दिशा दिखाने की जरूरत है| हम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके विजुअल तरीके से जितना अच्छा समझा सकते हैं वह तो ठीक है लेकिन इसके अलावा शिक्षक भी जमीनी स्तर पर काम करें|