लोगों ने महसूस किया रमन और जोगी की दोस्ती परवान चढ़ी है : भूपेश
०० प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने अजीत जोगी के जाति मामले का फैसला आने के बाद रमन-जोगी पर साधा निशाना
०० जीरम का मुद्दा हो, चाहे जाति का मुद्दा हो, रमन सिंह की सांठगांठ उजागर हो चुकी हैं : भूपेश
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा है कि रमन सिंह जी अजीत जोगी जी की दोस्ती कल फैसला आने के बाद सब लोगों ने महसूस किया कि रमन और जोगी की दोस्ती परवान चढ़ी है। 2011 सुप्रीम कोर्ट का फैसला माधुरी पाटिल वर्सेस महाराष्ट्र और उस आधार पर उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया कि 2 महीने में कमेटी गठन करके डे-टू-डे हियरिंग करके फैसला देना है। पीटिशनर बिलासपुर कलेक्टर, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा, संत कुमार नेताम पांच लोग थे। फैसला अक्टूबर 2011 में 2 महीने क्या, 2 साल बाद जनवरी 2013 में कमेटी का गठन किया सरकार ने।
भूपेश बघेल ने कहा कि इस बात को मैं फिर से रेखांकित करूंगा- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद भी जहां 2 महीने में फैसला देना था कमेटी का गठन है 2 साल बाद जनवरी 2013 में 22/4/2013 हाई पावर कमेटी, विजिलेंस कमेटी ने रिपोर्ट सबमिट की है। उसके बाद हाई पावर कमेटी ने कोई डिसीजन नहीं लिया। हाई कोर्ट में एक याचिका लगती है और वहां विजिलेंस के दोनों जो रिपोर्ट है उसे हाईकोर्ट में सबमिट कर दिया जाता है, ये तिथि है 22-23 अप्रैल 2013 घटनाक्रम देखिए 25 मई 2013 में झीरमघाटी घटना घटती है। 30 अगस्त 2013 को जोगी जी के तरफ से एक आवेदन दिया जाता है कि नेचुरल जस्टिस की तहत सुना नहीं गया और 18 सितंबर 2013 सरकार इसे स्वीकार करती है जोगी जी जो कह रहे है बिल्कुल ठीक है हम ये दोनो विजिलेंस रिपोर्ट वापस लेते है। 2013 का चुनाव संपन्न हो जाता है। उसके बाद विधानसभा में विधानसभा के बाहर फिर से जाति का मामला गरम होता है। विजिलेंस हाई पावर कमेटी फिर से गठन किया जाता है। उसकी रिपोर्ट सबमिट की जाती है। उसके लड़के के खिलाफ चुनाव याचिका भी लगता है और माननीय उच्च न्यायालय में 19 दिन तक की लगातार सुनवाई होती है, टेक्निकल ग्राउंड पर भी और मेरिट पर भी। फैसला जो आया है वो टेक्निकल ग्राउंड पर कि राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी नहीं की। कल जिस प्रकार से माननीय मुख्यमंत्री जी का जो बयान आया है माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे। ये बात निश्चित रूप से रेखांकित करने की बात है। जो सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश दो महिने में आपको फैसला करना है, उसको धता बताते हुए 2 साल में कमेटी गठन करती है और कल मुख्यमंत्री जी यह कहते हैं कि हम जल्दी ही कमेटी के गठन करेंगे, उच्च न्यायालय का आदेश का पालन करेंगे। इसका अर्थ ये हुआ कि मुख्यमंत्री जी ने यह स्वीकार कर लिया की गलती हुई है, अपनी गलती उन्होंने स्वीकार किया। यदि वे गलत नहीं किये होते तो वो सुप्रीम कोर्ट जाने की बात करते। सबसे पहली बात तो यह है रमन सिंह यह बताये कि उनके निर्देश पर कौन से अधिकारी ने चूक की। आपने राजपत्र में प्रकाशित क्यों नहीं किया और राजपत्र में प्रकाशित करने का निर्देश किस अधिकारी ने नहीं दिया और उसके खिलाफ आप क्या कार्रवाई कर रहे हैं और यदि नहीं कर रहे है तो माना जायेगा कि रमन सिंह के निर्देश पर ही राजपत्र में प्रकाशित नहीं किया है। अपने मित्र को बचाने के लिए किस स्तर पर जा सकते हैं यह स्पष्ट हो जाता है और दूसरा चोर की दाढ़ी में तिनका यदि ये सरकार सही में अपने पक्ष को मजबूती से रखते या रखे होते तो कहते हम उच्चतम न्यायालय जाएंगे। रमन सिंह ने कहा कि हम हाईकोर्ट के आदेश का पालन करेंगे। इससे स्पष्ट हो जाता है कि चोर के दाढ़ी में तिनका है। अपने मित्र को बचाने के लिये किसी भी स्तर पर जा सकते है। रमन सिंह जी आदिवासियों को जवाब दे कि जिस आधार पर 2003 का चुनाव आपने लड़ा और आज 2018 आ गया इस बीच में तीन चुनाव के चैथे चुनाव सर पर है फिर क्या कारण है आप बचा रहे है। दूसरी बात जिस कलेक्टर ने पीटिशन दायर किया उसके एडिशनल कलेक्टर मिस्टर भूरे सितंबर में आप याचिका वापस लेते है और अक्टूबर महीने में उसके लड़के को आप जाति प्रमाण पत्र देते है। जिससे सरकार खुद लड़ रही है। जिसकीे जाति विवादित है, उसके लड़के को आपने जाति प्रमाण पत्र कैसे जारी किया? आप जनभावनाओं के साथ खेल रहे है। अब ये बात रमन सिंह जी स्पष्ट करें, जनता के अदालत से बड़ा कोई नहीं होता। जीरम का मुद्दा हो, चाहे जाति का मुद्दा हो, रमन सिंह की सांठगांठ उजागर हो चुकी हैं। इसे जनता के बीच में हम लोग ले जायेंगे सरकार कितना भी बहाना बनाये। चाहे जीरम का मामला हो, चाहे अंतागढ़ का मामला हो, चाहे पनामा मामला हो रमन सिंह को जनता को जवाब देना होगा।
सबके सामने है 2013 से 2018 फिर आ गया। फिर चुनाव आ गया फिर मदद करने की कोशिश की जा रही है। अब तो जनता के बीच में सारी चीज स्पष्ट हो गयी है। भारतीय जनता पार्टी में अब दम बचा नहीं है। उसके राष्ट्रीय नेता छत्तीसगढ़ के खाक छान रहे है। अभी तक तो छुप कर जोगी जी उसको मदद करते थे। अब खुलकर उसको मदद करने के लिए सामने आ गए, अब जनता भी जान चुकी है। यदि रमन सिंह की सरकार का 5 सालों में कोई उपलब्धि है तो केवल घोटालों का। भारतीय जनता पार्टी के नेता इसको मान चुके है और वो किसी हद तक के जाकर चैथी बार सरकार बनाने की कोशिश करेंगे और वो पूरी तरह से नाकाम होंगे। सही बात है चांउर देने वाला बाबा, मुफ्त में देने वाला, एक-एक दाना धान खरीदने वाला, 2100 रू. में धान खरीदी समर्थन मूल्य, 300 रू. बोनस देने वाला, आदिवासियों को जर्सी गाय बांटने, नौकरी देने की बात, रोजगार देने की बात सारे बात तो जुमले साबित हो गये। अंतागढ़ की जो घटना घटी विधायक खरीद फरोख्त किया, उस टेप को हमने पूरे प्रदेश भर में सुनाया था। इस मुद्दे को भी घर-घर तक पहुंचाएंगे। जाति का निर्धारण रिकार्ड के आधार पर होता है, सुप्रीम कोर्ट का माधुरी पाटिल के संदर्भ में जो फैसले आया उसमें सबसे पहली बात यह है कि यदि आपके पास जमीन है, 50 साल का रिकॉर्ड है तो आपको जाति प्रमाण पत्र के लिए और किसी चीज की आवश्यकता नहीं है, स्कूल का दस्तावेज है, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र है, जमीन का रिकॉर्ड है। जमीन के रिकॉर्ड में स्पष्ट लिखा गया है कि जोगी के पिताजी उसके माता जी ने जब जमीन बेचा तो बिलासपुर कलेक्टर से अनुमति नहीं लिया। जब आदिवासी से जमीन इन्होने खरीदी तब बिलासपुर कलेक्टर से अनुमति ली, तब इस रिकार्ड को कोई अधिकारी झूठला नहीं सकता। मेरिट के आधार पर कोई जजमेंट थोड़ी आया है जिसे जीत बता रहे है वह मेरिट के आधार पर नहीं बल्कि टेक्निकल ग्राउंड के आधार पर जोगी के जितने भी जाति का फैसला हुआ है जो कहते है कि हमारे पक्ष में फैसला आया है टेक्निकल ग्राउंड पर खोज कर उसको टेक्निकल ग्राउंड खारिज करवाया है या फिर वापस करवाया फिर आदेश दिलवाया। जो कल भी हुआ है टेक्निकल ग्राउंड पर और जानबूझकर सरकार के द्वारा कमी छोड़ दी गयी ताकि अपने मित्र को मदद पहुंचा सके।